चूहे बिल्ली का खेल
चूहे बिल्ली का खेल
जिंदगी और मौत के बीच ये कैसा है चूहे बिल्ली का खेल
जीवन जीने के लिए इन दोनों में कैसे होती है रेलमपेल
मौत बिल्ली की तरह हरदम जिंदगी निगलना चाहती है
जिंदगी मौत से डर के मारे , इधर उधर बचती फिरती है
जिंदगी की राह में पिंजड़े की तरह पचासों रोड़े ही रोड़े हैं
दुख बहुत ज्यादा हैं यहां पर और सुख बहुत ही थोड़े हैं
क्या पता कब कौन कुछ खाने पीने का लालच ही दे जाये
लालच में फंसकर जिंदगी चूहे की तरह कैद ना हो जाये
क्या पता कोई छुपा दुश्मन आटे में जहर मिलाकर रख दे
बेचारे चूहे की जिंदगी का पत्ता पल में कटाकर रख दे
जीना बड़ा मुश्किल है आसां नहीं , ये सब जानते हैं लोग
मौत तो एक दिन आयेगी फिर भी मौत से भागते हैं लोग
कल क्या होगा इसकी फिकर में आज को ना बरबाद करो
जितनी जिंदगी भाग्य में लिखी है उसे मजे में आबाद करो.
