चमकाओ अपना नाम
चमकाओ अपना नाम


जितना यहाँ पाया उससे, अधिक देकर जाना
जन्म लिया है धरती पर, बोझ नहीं बन जाना
आओगे फिर यहीं पर, और कहीं ना जाओगे
अपने कर्मों का फल, धरा पर आकर पाओगे
कर्मों की गुह्य गति पहचानो, अन्तर्मुखी होकर
काटोगे वैसी फसल, जैसे बीज गये हो बोकर
जन्म मरण का ये चक्र, चलता रहेगा निरन्तर
इसके चलने में नहीं, एक पल का भी अन्तर
जीवन पाने का तय है, सबका अपना समय
जन्म लेते ही तय होता है, मृत्यु का भी समय
लेकिन मरने का वो समय, आता नहीं नजर
अचानक ही इंसान, दुनिया से जाता है गुजर
जन्म से मृत्यु के बीच का, समय है मूल्यवान
कर्म श्रेष्ठ करके बनाओ, खुद को तुम महान
कर्म करने की खातिर, हम हैं पूरे ही आजाद
बर्बाद करें खुद को, या करें खुद को आबाद
जीवन वही सर्वोत्तम, जो आये सबके काम
करके श्रेष्ठ कर्म तुम, चमकाओ अपना नाम