चमचम
चमचम
चमचम बहुत मंगवाते थे,
कितना मीठा खाते थे?
सामाजिक शास्त्र पूरा का पूरा,
थोड़ा उर्दू पढ़ाते थे।
सेठ जी के बच्चों को ज़्यादा मन से पढ़ाते थे,
बालक सेठ जी के, चमचम जो खिलाते थे।
दसवीं में कक्षा टॉप करोगे तुम,
सफल हो जाएगा, मेरा पढ़ाना,
चमचम का डिब्बा बेटा, पर ज़रूर लाना।
शिष्य ने भी हामी भरी थी,
पिता जी से भी बात करी थी।
फिर रिजल्ट का दिन आया ,
प्रिय शिष्य न प्रथम आया,
आधा डिब्बा चमचम लाया।
गुरु जी ने प्रेम जताया,
फर्स्ट आने वाले को ,
बुद्धू बताया।
चमचम का डिब्बा बगल दबाया।