चलते -चलते
चलते -चलते
चलते-चलते हमने देखा
रंग बदलते मीठे सपने
कौन कहाँ ?कष्ट सहा है
कैसी बाजी ?दर्शक जहाँ है !
रिश्ते हैं,जंजीरें हैं,-लकीरें हैं
आर-पार दिखती तस्वीरें हैं
शब्द जुगाली ,बजती ताली
आँखों में है,सोने की जाली
गीतों की शय्या पर लेटा मन
सूखा सावन, लोक लुभावन,
अंधों के बीच सूरज की चर्चा ,
हवा खोलती नया मोर्चा।