चलता जा
चलता जा
जीत हो या हार
तू बस चलता जा
हो कितनी कठिनाई पथ पर
कितने शूल मिले जीवन पथ पर
कर्म तू अपना करता जा
जीत हो या हार बस चलता जा
आज अंधेरा है पथ पर
घना कोहरा फैला पथ पर
धीरे धीरे तू कदम बढ़ा
जीत हो या हार बस चलता जा
न जाने कितने अवरोध मिलेंगे
अपनो के ही विरोध मिलेंगे
अपने दिल की सुनता जा
जीत हो या हार बस चलता जा
क्या खोया है अफसोस न कर
क्या पाया है ये मन में धर
बस इसको करता जा
जीत हो या हार बस। चलता जा
पर्वत की ऊंचाई न देख
अपने मन की गहराई देख
लग्न में अपनी चढ़ता जा
जीत हो या हार बस चलता जा
दुर्गम राह नही कोई है
अपने मन मे भय छिपा है
इस डर को जीतता जा
जीत हो या हार बस चलता जा।