चलो नई शुरूआत करें
चलो नई शुरूआत करें
माना कि ज़िन्दगी थक रही है
माना कि उम्र भी घट रही है
माना कि पांव भी थक रहे हैं
मगर क्यों बेचैन हैं हम यह सब सोचकर
जो आया है जाएगा एक दिन
जिसे आना है आएगा एक दिन
हर पल लाता है एक नया पल
मगर क्यों बेचैन हैं हम यह सब सोचकर
रात का अँधेरा भी छट जाएगा
मायूसी का बादल भी हट जाएगा
पल जो आने वाला है कैसा होगा
मगर क्यों बेचैन हैं हम यह सब सोचकर
यहाँ क्या खोया है क्या पाया है
जिधर भी देखो खौफ़ का साया है
खाली हाथ आया खाली हाथ जाएगा
मगर क्यों बेचैन हैं हम यह सब सोचकर
अकेला आया अकेला चलना होगा
कर्मों के अग्निकुंड में जलना होगा
क्या होगा जब नहीं मिलेगी मंजिल
मगर क्यों बेचैन हैं हम यह सब सोचकर
पोंछ कर आंसू अनवरत बढ़ता चल
मुश्किलों के पहाड़ों पर चढ़ता चल
जुनून है तो हिमालय भी बौना है
मगर क्यों बेचैन हैं हम यह सब सोचकर
जहाँ आँख खुली वहीं सवेरा है
खुशियों से सजा तेरा बसेरा है
राह के कांटे भी अक्सर राह दिखाते हैं
मगर क्यों बेचैन हैं हम यह सब सोचकर
दिन के उजाले में नई शुरुआत करें
यहाँ आए हैं तो कुछ करामात करें
उठ जाग मुसाफिर देख भोर भई
मगर क्यों बेचैन हैं हम यह सब सोचकर।