चलो ,इस बार होली कुछ ऐसे मनाते हैं!
चलो ,इस बार होली कुछ ऐसे मनाते हैं!
"चलो इस बार होली कुछ ऐसे मनाते हैं,
रंग गहरे से दिलों पर लगाते हैं
बड़े कच्चे हैं रंग होली के पलभर में चेहरों से उतर जाते हैं,
ताउम्र रह जायें जो दिलों पर ,चलो रंग ऐसे ढूंढ़ लाते हैं
न कोरा रहे कोई चेहरा,
हर चेहरे पर मुस्कराहट का इक रंग लगाते हैं
जो टूटे हैं, जो रूठे हैं, चलो उन रिश्तों को मनाते हैं,
नफ़रतों से जलते दिलों पर रंग मोहब्बत का लगाते हैं,
नीला गुलाल ख़्वाहिशों का,पीला उम्मीदों का
हरे गुलाल की हरियाली से चेहरों को सजाते हैं,
चलो,गुलाल में रंग मोहब्बत का घोल आते हैं,
सुर्ख लाल रंग मोहब्बत का दिलों पर लगाते हैं,
चलो इस बार होली कुछ ऐसे मनाते हैं,
रंग गहरे से दिलों पर लगाते हैं!"