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Sudhir Srivastava

Abstract

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Sudhir Srivastava

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चलो चांद की ओर

चलो चांद की ओर

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मैं चंद्रयान बोल रहा हूँ

आप सबको फिर बता रहा हूं,

अब मैं चंदा मामा के साथ हूं 

हम ही नहीं मामा भी बहुत खुश हैं

सच कहूं तो ननिहाल में अद्भुत माहौल है,

मामा का यहां बड़ा ही भौकाल है।

अपने चंदा मामा के पास पहुंच कर,

हमें तो बड़ा आनंद आ ही रहा है,

खुशी के मारे मामा के पांव ही नहीं टिक रहे हैं।

जब मामा ने बताया कि

उन्हें भी कब से मेरा इंतजार था,

और मामा ने जब बाँहें पसार कर

हमारा गर्मजोशी से बांहों में भरकर स्वागत किया

तब सच मानो मेरा मन गदगद हो गया।

हम चांद मामा से मिलने को तो बेकरार थे ही

मगर मामा भी कम बेकरार नहीं थे,

उन्होंने प्यार से जब हमें दुलराया

मामा का नेत्र तब आंसुओं से भर आया।

बड़े प्यार से उन्होंने धरती मां ही नहीं

और देश दुनिया का हाल चाल एक एक्टर पूछा

तब मुझे लगा कि मैं तो शहंशाह बन गया।

अब आप सब मेरी चिंता मत करना

मुझे अपनी सुविधा से घूमने टहलने

और खूब मस्ती करने देना,

मेरी प्यारी मां मुझे तुम्हारी बहुत याद आती है

पर मामा का प्यार दुलार

अभी कुछ और सोचने नहीं देती है।

पर तू चिंता मत कर मां

मामा के घर से जब आऊंगा

तब जी भरकर नाना नानी मामी का हाल 

बड़े विस्तार से बताऊंगा।

मैंने तेरा रक्षा बंधन मामा को दे दिया है

मामा ने उसे अपनी कलाई में बांध भी लिया है।

मामा ने मुझे घूमने टहलने की छूट दे दी है

और आप सब के लिए रक्षाबंधन का

ढेरों उपहार भेजने का वादा भी किया है।

आप सब बहुत अच्छे से रहना

श्रेय लेने की आड़ में देश का अपमान मत करना,

मैं एक सौ चालीस करोड़ भारतीयों की दुआ स

और कृपा से यहां तक पहुंच पाया हूं,

अपने देश के वैज्ञानिकों की मेहनत और समर्पण से ही

अपने चंदा मामा से मिल पाया हूं।

मामा भी वैज्ञानिकों को धन्यवाद दे रहे हैं

हर भारतवासी का आभार कर रहे हैं

सबके लिए कुछ न कुछ

विशेष उपहार का इंतजाम कर रहे हैं,

हम फिर बता रहे हैं

हम चांद पर पहुंच मजे कर रहे हैं,

अब आप सबसे संवाद को विराम दे रहे हैं

मामी भोजन के लिए बुला रही हैं,

अब हम उनके पास भोजन के साथ

उनको तंग करने जा रहा हूँ,

आप सबको एक बार फिर

जयहिंद,जय भारत वंदेमातरम् कह रहा हूँ। 



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