चला चल
चला चल


हालात को अपने गुजारे चला चल
नाख़ुदा को अपने पुकारे चला चल
राब्ता भी रख तू अपनों के दरमियाँ
सुकूँ भी दिलों के उभारे चला चल
ज़ुस्तुज़ु ज़िन्दगी में मिलने की रख
अपनी किस्मत को सँवारे चला चल
ख्वाइशें भी तमाम रख ज़िन्दगी में
ग़लतियों को अपने सुधारे चला चल
नूर तर नूर हो गया नज़रों से दूर
ख़ुदा के नूर से उभारे चला चल
आहिस्ता आहिस्ता यूँ चलना राहों में
ज़िन्दगी को अपने पुकारे चला चल
ठोकरें देती है तकलीफ़ ज़िन्दगी में
किसी नाखुदा के सहारे चला चल