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चक्र

चक्र

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आज प्यार का दसवाँ है

फिर उठावना होगा

तेरहवीं और मृत्युभोज भी

इसके बाद

मुक्ति मिल जाएगी प्यार को

नई देह धारण करने के लिए।

नई देह में बसेगा   

नये तरीके से छलेगा।

फिर गाये जाएँगे

जन्म के सोहरे

फिर पलना झूलेगा प्यार।

एक उम्र में, कई बार

जन्मेगा, मरेगा प्यार।



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