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Mayank Kumar 'Singh'

Abstract

5.0  

Mayank Kumar 'Singh'

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चिट्ठी

चिट्ठी

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उसकी चिट्ठी और खाली पन्नों में बस,

 फर्क इतना है की

उस समय भी लाज के जेवर

उसकी चिट्ठी में दिखाई देते थे

और

खाली पन्ने में

आज भी

उसकी मासूम चेहरा में

 पुरी दस्ता दिखाई देते हैं

लेकिन

इस खालीपन में जिंदगी

 तब भी चला करती थी

आज भी चला करती है

बस फर्क, इतना था

 उस दौर में चिट्ठी

मर्यादा मैं समा बांध

 कुछ कहा करते थे

और

आज के इस दौर में

चिट्ठी की जगह Facebook 

और Whatsapp ने ले लिया

लेकिन

उस भावनाओं में कमी

 शायद आज भी ना है

 हां ,बस इतना जरूर है की

 चिट्ठी पूरे दर्द को

खालीपन में ब्याह करके

चौखट तक पहुंचा करते थे

और आज 

इंटरनेट पर सामने होकर भी

दूर मोहब्बत हुआ करती हैं

शायद इसीलिए 

हम कह सकते हैं ,

 समृद्धि की इस दौर में

मोहब्बत भी 20-20 की इनिंग हो गई है

 लेकिन

उस टेस्ट पारी वाली यादें

शायद इसकी भरपाई करें

 यह संदेश उन आशिकों के लिए हैं

जो तन्हाई में डूबकर

अपना वक्त बर्बाद किया करते हैं

उन नालायकों से मेरा अनुरोध है कि ;

जब ऐसे विकट परिस्थिति

आपके समक्ष आए तो,

 1990 के दशक के गाना से

मनोरंजन कर लेना

 कुछ मिले या ना मिले

लेकिन ,

तुम्हें कुछ देर के लिए

सकून अवश्य मिलेगा !



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