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Pawanesh Thakurathi

Abstract

4.9  

Pawanesh Thakurathi

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छवि

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पंछी गा रहे है शाखों पर

शबनम नाच रही है पत्तों पर


भंवरे मस्त है फूलों पर

तितलियाँ झूल रही है झूलों पर


डाकिया ले जा रहा है पत्र

कच्ची पुलिया पर चलकर

नदी के उस पार


बारात गुजर रही है

सरसों के खेतों से होकर

गूंज रही है ध्वनि

हवाओं में नगाड़ों की


मेरे गांव की छवि

अभी लग रही है

अठारह वर्ष के युवा-सी। 



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