Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!
Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!

Shraddhanvita Tiwari

Inspirational

2.1  

Shraddhanvita Tiwari

Inspirational

छू लूँगी आसमान

छू लूँगी आसमान

1 min
7.0K


लड़की होने की सज़ा 

दादा दे तो समझ आता है 

पर दादी क्यों देती है? 

पापा दे तो कोई बात नहीं 

पर माँ दे तो तकलीफ होती है |

मेरी हमशक्ल! मेरी हमजात!

ओ मेरी दादी! ओ मेरी माँ! 

जब बसंत  तुम्हारे जिस्मों पर, 

तुम्हारे होंठो पर, तुम्हारे बालों पर 

तुम्हारी चालों पर उतरा होगा 

तो तुम भी इतराई होगी ,

खुद भी महकी होगी, बगिया महकाई होगी 

और लड़की होने की सज़ा भी भोगी होगी 

मार खाई होगी, गर्दन झुकाई होगी 

पर कटवाए होंगे,

सपनों के आसमान टूटे होंगे 

ज़मीन पर आई होंगी 

पर सुनो, ओ बुढ़ाती लडकियों!

ये लड़की-

दुनिया को रचनेवाली 

पालन पोषण करनेवाली 

भविष्य की माँ 

तुम्हारे दर्दों की, तुम्हारी पीड़ाओं की, 

तुम्हारी यातनाओं और तुम्हारे शोषण की

सारी अग्नि समेट कर ये ऐलान करती है- 

कि पंख न कटने देगी 

भरेगी उड़ान ,

छू लेगी आसमान 

आज़ाद हवाओं को 

विशाल खलाओं को 

अपने वजूद में भरकर 

लौटेगी ज़मीन पर 

जियेगी अपनी शर्तों पर 

अपने छंदों पर 

एक सम्मानित जीवन 

एक सुन्दर जीवन 

लड़की होने की सज़ा नहीं 

सम्मान पायेगी 

और खुलकर गायेगी 

ज़िन्दगी के गीत...


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Inspirational