बेटी
बेटी
माँ चाहिए
बहन चाहिए
पत्नी चाहिए
लेकिन नहीं
चाहिए।
संतान चाहिए
वारिस चाहिए
बेटा चाहिए
लेकिन बेटी
नहीं चाहिए।
अगर बेटी हुई
तो मार दो कोख में
ही आज
कर दो उसका
सर्वनाश
खाएगी जो वो तुम्हारे
घर का अनाज।
मानो या ना मानो
रौशनी है वो
जानो या ना जानो
भविष्य है वो।
रौशनी है वो
उसे बिखरने तो दो।
भविष्य है वो
उसे पैदा होने तो दो।
समाज है वो
संस्कृति है वो
उगते सूरज की
पहली किरण है वो।
कदम मिलाएगी
वो साथ-साथ
बुढ़ापे में उसे ही
पाओगे साथ
मुश्किलों में वहीं
थामेगी हाथ।
अभिशाप नहीं
उपकार हैं वो।
दाग नहीं
भगवान का
वरदान हैं वो।
उस कोख की करो पूजा
जिससे आती है दुर्गा
करो उसे शिक्षित
होगा सबका जीवन सुरक्षित ।