छंद - मीराबाई
छंद - मीराबाई
वाह मीरा तुम भली करी,
जो प्रेमजगत को मान बढ़ो,
साधूअन संग भईं कृष्ण दिवानी,
तुम प्रेम अमृत को पान करो,
राज पाठ तुम सब छोड़ो,
तब प्रेमपंथ को अपनायो,
त्याग कियो तुम सब मोह माया,
शिशिर प्रेम को रस गायो,
जन कहबे तुमकों पगली,
कहा पगली को ठोंग रचायो,
क्षण बताये देओ हमकों मीरा,
कृष्ण प्रेम तुम कैसे पायो,
हे मीरा तुम बड़ी भागिनी,
प्रेम रत्न आकाश समाए,
डोर मिली कृष्ण प्रेम की,
पतंग गिद्ध सी उड़ती जाए,
कहत कवि शिशिर तुमसों,
हम मोह माया में फंसे जाएं,
श्री कृष्ण धाम को मार्गदर्शन,
हे मीरा तुम देओ कराय,
धन्य भये हम मिलीं हमकों,
तट तट माला प्रेम जपत हैं,
इत तार तार भीईं अभिलाषा,
नाय मीरा इत काल बसत हैं।
