छेड़खानी
छेड़खानी
छेड़नेवाले लड़की को
खोलो अक्ल की खिड़की को
अगर हो तू भी लड़की तो
पछतायेगा बढ़के तू !
किसको छेड़ने निकले तुम
करो इस्तेमाल अकेले तुम
औरत को तू जो देगा ग़म
दर्द है तू और मर्द है कम !
जोश में आके बन मत अंधा
बंद करो तुम अब ये धंदा
सुनले मेरी बात तू बन्दा
लड़की का शाप है फांसी का फंदा !
किया है लड़की से शरारत
नहीं किया है कोई क़यामत
खराब हुआ है तुम्हारी नीयत
नहीं बचा अब तुझमे शराफत
सुबह और शाम वही है काम
घर में राम तो गली में शाम
बुरे हैं सोच और बुरे हैं काम
बुराईयों का बुरा है अंजाम !
बस में ट्रैन में गली पे सड़क पे
जिधर भी देखो लोफर वहीं पे
पेअर ज़मी पे और आखे आसमान पे
कभी पोस्टर पे तो कभी लड़की पे !
जिसके देखो मूछे निकले
सारे लड़की के पीछे निकले
इनमे शामिल बूढ़े तकले
शर्म हया सब छोड़के निकले !
कभी ये देंगे जानके टक्कर
नारी के लिए मारेंगे चक्कर
झूठे हैं और हैं ये मक्कार
इंसानियत को है इनपे धिक्कार !
आँख मारना दांत दिखाना
आगे मुझे है अब क्या कहना
कब तक है इस जुलुम को सहना
कब तक है इन लोगों में रहना !
छेड़े जो सीधे साधों को
सब सिखाओ हरामजादों को
सज़ा दो ऐसे लोगों को
लड़की छेड़ने वालों को !
