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Chetandas Vaishnav

Tragedy

3  

Chetandas Vaishnav

Tragedy

छब्बीस-ग्यारा का आतंकी हमला

छब्बीस-ग्यारा का आतंकी हमला

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छब्बीस-ग्यारह को हुआ था, 

एक आतंकी हमला मुंबई पर,

कांप उठा था देश का जर्रा-जर्रा, 

शर्मसार हुई थी मानवता यहां पर,

कोई देश अछूता नहीं आतंकी साये से, 

जो देश की आर्थिक-राजधानी थी,

जो चलती रहती है रात और दिन, 

बंधक बना दिया था आज के दिन,

चारों ओर हा हा हा कार मचा हुआ था, 

समय भले ही बीत गया बहुत था,

सबके दिलों पर आज भी घाव गंभीर था, 

मानो बात कल की हो ऐसा लागता था,

सब अपने-अपने हाल में मस्त थे, 

कई काम से अपने घर को लौट रहे थे,

तो कई काम पर अपने जा रहे थे, 

माहौल मुंबई का मदमस्त-खुशमिजाज था,

आठ या साढ़े आठ का समय था, 

तब अचानक गोलाबारी-बमबारी ने,

गम-गिन माहौल बना दिया आतंकियों ने,

थोड़ी ही देर में हर मुंबई-वासी का दिल-दहला दिया, 

चारों ओर भागमभाग और कोहराम मचा दिया,

देखते ही देखते हमले हुए कई, 

सैकड़ों से ऊपर लाशें बिछा दी गई,

कइयों को लहूलुहान कर घायल कर गई, 

ले हाथों में ऐ.के. छप्पन चला रहे थे गोलियां,

आतंकियों ने मुंबई का दिल-दहला दिया, 

हर तरफ इंसानों की उठ रही थी चीत्कारें,

मानव की मानवता हो गया थी चकनाचूर, 

इंसान ही निर्दय हो कर खेल रहा था राक्षसी खेल, 

बनकर असुर इंसान खेल रहा था खुंखार खेल, 

कई माता-बहनों के टूटे मंगलसूत्र और चूड़ियां,

कई माता-बहनों का उजड़ गया था सिंदूर, 

उठ गया था कई बच्चों का साया सर से,

सुनी हो गई थी कई माताओं की गोद, 

बच्चें कई हो गए थे आज अनाथ,

इस आतंकी हमले की रक्षा करते हुए कई 

रक्षक हुए थे शहीद,

आज मैं नमन करता हूँ 

उन सरहद के रक्षक के बलिदान को,

जो खुद के प्राणों की छोड़ चिंता लड़ते रहे, 

मानव की रक्षा खातिर डटे वो रहे,

सबकी ढाल बनकर वो सामने खड़े रहे, 

आज उस दर्दनाक-दिन की है बरसी,

जब आता है 

यह दिन भड़क उठती है 

सीने में ज्वाला-सी, हे भगवान !

फिर कभी भी ऐसा दिन दिखाना, 

जो इंसान ही इंसान के खून का बन जाय प्यासा !!        


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