चेतावनी
चेतावनी
बीती जायें जिन्दगानी,
जीवन दो दिन का।
पानी केरा बुदबुदा,
आस मानुष की जात।
देखत ही छिप जायगा,
ज्यों तारा परभात।
रामा भजन कर प्रानी,
जीवन दो दिन का बीती जावें।
श्वास-श्वास प्रति हरि भजो,
बृथा श्वास जनि खोओं।
न जाने जा श्वास की,
आवन होय न होय।
कल की कोई नहीं जानी,
जीवन दो दिन का बीती जावें।
तुलसी अपने राम को,
रींझ भजो चाहे खींज।
उल्टो सूधो ऊग है,
खेत परो को बीज।
घट रही है जिन्दगानी,
जीवन दो दिन का।
बीती जायें जिन्दगानी,
जीवन दो दिन का।।
