STORYMIRROR

चौकीदार

चौकीदार

1 min
930


जब भी चलती थी गोलियां

सैनिक जान गंवाते थे


जो इन गद्दारों के हमले से बच भी जाते

शान से सीना तानकर चलने वाले भारत के वीर शीश झुकाते थे


आतंकी किसे कहें सीना छलनी करने वालों को

या जवानों की मौत पर भी चुप्पी थामने वालों को


सरहद की ख़ातिर हर हद से गुजरने वालों को सीमा में बांध दिया

खुद सीमा पार जाकर दोस्ती का हाथ बढ़ाते हैं


ये देख खून खौलता हर चौकीदार का

लेकिन बंधे थे हाथ यही सोचकर शोक मनाते थे


हाथ खोल दिए मोदी जी ने जवानों के

तो दुश्मनों को घर में घुस कर मारे थे

एक शीश के बदले 10 शीश धड़ से अलग कर डाले थे


औकात नहीं आज दुश्मनों की

कि आंख हमें दिखाए

इतना पता तो सबको चल गया

तैनात वहां रक्षा में चौकीदार आम नहीं

भारत माँ का सच्चा वीर है।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Inspirational