चाय बिस्कुट सी दोस्ती हमारी
चाय बिस्कुट सी दोस्ती हमारी
चाय बिस्कुट सी वो दोस्ती हमारी,
ढूंढ रही है बीते हुए उन लम्हों को,
आज भी ये आंँखें, अक्सर मुस्कुराती,
याद करके, साथ बिताए उन क्षणों को,
ख्यालों की बगिया में महकती है दोस्ती,
आसान नहीं है भूल पाना, उन यादों को,
दोस्तों का एक बुलावा क्या आ जाता था,
चाह कर भी रोक नहीं पाते थे कदमों को,
मीलों की दूरियां हैं, हम दोस्तों के दरमियां,
पर वक़्त भी तोड़ न पाया दिल के तारों को,
दोस्तों के बिना अधूरी सी लगती ये ज़िंदगी,
जी चाहता है,वक्त से चुरा लें उन लम्हों को,
रहती थी दुनियादारी की कोई खबर नहीं,
दोस्तों के साथ, हम भूल जाते थे गमों को,
आ जाती कितनी भी मुश्किल परिस्थितियां
सुलझा लेते थे, मिलकर सभी उलझनों को,
रहते थे साथ, दोस्त जीवन के हर पहलू में,
याद करके उनको, रोक न पाते अश्कों को,
हो उठते हैं जीवंत, दोस्ती के सुनहरे किस्से,
जब भी पलट कर याद करो पुराने पन्नों को,
हंँसते, खिलखिलाते हुए रहते, हर पल साथ,
वो दोस्त होते हैं जो पढ़ लेते, खामोशियों को।