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Mukesh Bissa

Inspirational

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Mukesh Bissa

Inspirational

चार कदम

चार कदम

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ये पल दो पल आराम करने का नहीं

हर एक को दो चार क़दम ही जाना है।


यहां के सब पंछी रुखसत हो गए

मौसम ए बहार में बागबां वीराना है।


जिसे पाने की हसरत कभी थी हमारी

आज वो समय ख़्वाब है या तराना है।


चोट नई है लेकिन घाव पुराना है

आफताब बहुत जाना-पहचाना है।


सारी बस्ती चुप की धुंद में डूबी है

जिस ने लब खोले हैं वो दीवाना है।


होगा वही सफल मंजिल ए जिंदगी में

जिस ने विष के घूँट को अमृत जाना है।




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