Raja Sekhar CH V

Abstract

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Raja Sekhar CH V

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बूंद बूंद पानी

बूंद बूंद पानी

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बूंद बूंद पानी !

जो हमेशा है सुहानी !!

सभी ज़िन्दगियों को चाहिए पीने का पानी !

यह बात तो हम सभी ने बचपन से है जानी !!


बूंद बूंद पानी बादलों में आसानी से समा जाए,

बूंद बूंद पानी आसमानी बारिश से बरस जाए,

बूँद बूँद पानी ऊँचे ऊँचे पहाड़ियों में जम जाए,

बूँद बूँद पानी बर्फ़ के अम्बार में तब्दील हो जाए |१|


बूँद बूँद पानी से वादियों में झरना बनकर बह जाए,

बूँद बूँद पानी पत्तियों में मोतियों जैसे ओस बन जाए,

बूंद बूंद पानी बरख़ा के बाद पत्तों को चमकाता जाए,

बूँद बूँद पानी ज़िन्दगी का बुनियादी ज़रिया बन जाए |२|


बूंद बूंद पानी तालाबों में लबालब भर जाए,

बून्द बून्द पानी गहरे ज़मीन तक चला जाए,

बूंद बूंद पानी कुओं बावड़ियों में पहुँच जाए,

बूँद बूँद पानी से छिड़कता फ़व्वारा बन जाए |३|


बूंद बूंद पानी दरख्तों के जड़ों में बह जाए,

बूंद बूंद पानी नारियल के अंदर पहुँच जाए,

बूंद पानी नहर नालों में कलकल बहता जाए,

बूंद बूंद पानी दरिया में झरझर आवाज़ कर जाए |४|


बूंद बूंद पानी हर सांचे ढांचे में आ जाए,

बूंद बूंद पानी हरएक गागर में भर जाए,

बूंद बूंद पानी ख़ुशी ग़म के अश्क़ बन जाए,

बूंद बूंद पानी समंदर को गहरा करता जाए |५|


बून्द बून्द पानी साफ़ सफ़ाई का औज़ार बन जाए,

बून्द बून्द पानी किसान के लिए तोहफ़ा बन जाए,

बून्द बून्द पानी के लिए रियासतों में झड़प हो जाए,

बूंद बूंद पानी के लिए इंसान तरसता तड़पता जाए |६|


बून्द बून्द पानी सख़्त पत्थर को काटती जाए,

बूंद बूंद पानी अंगार आतिश को बुझता जाए,

बून्द बून्द पानी से नदियों में सैलाब बन जाए,

बून्द बून्द पानी से समंदरी ज़लज़ला बन जाए |७|


बूंद बूंद पानी टपक टपककर टपटप आवाज़ कर जाए,

बूंद बूंद पानी को इंसान बन्द से आगे जाने से रोक पाए,

बूंद बूंद पानी छोटे बच्चों के लिए खेलने का चीज़ हो जाए ,

बूंद बूंद पानी इक मज़हबी इबादत के लिए काम आ जाए |८|


बूंद बूंद पानी से मिटटी में पौधा पैदा हो जाए,

बूंद बूंद पानी से हर तरह का खाना बन जाए,

बूंद बूंद पानी से रसीले फलों में रस बन जाए,

बूंद बूंद पानी से ठहरे आब में लहर बन जाए |९|


बून्द बून्द पानी मिटटी जोड़ने में मददग़ार बन जाए,

बूंद बूंद पानी हर जंगली जानवर को झील तक लाए,

बूंद बूंद पानी हर ज़िंदा बदन के रग़ों में दौड़ता जाए,

बूंद बूंद पानी प्यासे के लिए आब-ए-हयात बन जाए |१०|


बूँद बूँद पानी क़ुदरत धरती को देती जाए,

बूँद बूँद पानी इंसान कभी भी बना न पाए,

बूंद बूंद पानी बिन उसका मोल पहचान पाए,

बूंद बूंद पानी बिन धरती में ज़िंदगी ठहर जाए ।११।


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