बुढ़ापे का सबक
बुढ़ापे का सबक
बुढ़ापा भी एक कहानी
जाती जब ये जवानी
देता एक सन्देश
आऊंगा मैं हर हाल
करूँगा तुझे बेहाल
दोहरी कर दूंगा कमर को
दिखाता है अकड़ जो
उछल कूद तेरी
धरी रह जाएगी ये सब
कर इंतजार उस का
मैं आऊंगा जिस वक्त
तैयार रह उस के लिए
ना नुकुर चल पायेगी ना तब
शरीर हो जायेगा जर्जर
जैसे हो कोई पुरानी इमारत
आँखों की रोशनी
कानों का सुनना
भी हो जायेगा कम
मुंह में दांत
ना होंगी
पेट में आंत
चलना फिरना भी
दुश्वार होगा तब
कर ले तैयारी
इसी पल अभी से
खान पान
रहन सहन को
कर ले संयमित
कर ले कसरत
बना ले अपने
को जबरदस्त
जिससे मिल पाए तुझको
कुछ और वक्त
दे पाऊं तुझे जीने का
कुछ वर्ष का और वक्त
मुझको तो आना हे बस
रुलाऊंगा ना तुझे तब।