जीत
जीत
हसरतें तो हजारों हैं,
मेहनत भी है भरपूर ,
ईमानदारी का है गुरूर ,
मंज़िल तक जाना है ज़रूर ,,
गिर भी गए तो क्या,
उठकर खड़े होने का है जुनून ,
कुछ अपनों का है सुकून ,
कहीं प्यार तो कहीं है अपना ही खून ,,
कई आएंगे रोकने वाले ,
हर पड़ाव पर टोकने वाले,
तू बस चलता चल राही ,
यही कहना चाहती है मेरी स्याही.. ..
होना मत बस तू मगरूर ,
अभिमान तो प्रकृति को भी ना है मंज़ूर ,
परिश्रम का करले सुरूर ,
बस जीत का रख तू फितूर.....
बस जीत का रख तू फितूर !!!!!
