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Jaypoorna Vishwakarma

Inspirational

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Jaypoorna Vishwakarma

Inspirational

बुढ़ापे की सनक

बुढ़ापे की सनक

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सदियां सारे बीत गए 

घर-परिवार के लालन-पालन में 

उलझी रही सारी जिन्दगी,

खुद के जीवन को सुलझाने में 

कितनी आशाएं लेकर जीवन में पंख लगे थे 

सारे पंख टूट गए, घर-गृहस्थी को चलाने में 

अभी थोड़ा आस जगा है, 

मन में थोड़ा विश्वास जगा है  

सोचा अब खुद को वक्त दूं इतिहास रचने में 

कितने ही विद्वान बने हैं अपने अंतिम वक्त में

आंखों में थी रोशनी नहीं फिर भी 

लिखने की ऐसी ललक जगी 

लिख डाला बड़ा अनोखा उपन्यास 

वाह-वाह से सारा संसार कृति गाई 

कहे दुनियाँ बुढ़ापे की ऐसी सनक जगी 

जिसकी भनक पूरे संसार को लगी ।


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