बसंत ऋतु का आगमन
बसंत ऋतु का आगमन
हुआ बसंत का आगमन, धरा पर नया नूर छाया
अली! अंबर भी देखो धरा रूप देख-देख मुस्काया।
धानी चुनर ओढ़े, पीत बेल पहने, मोहक श्रृंगार किया
देखो गुनगुन करता भॅंवरा भी, बागों-बागों गुंजाया।
खाली पड़े शाखों पर, चटकी कोपल मृदुल काया
ऋतुराज अपने ही श्रृंगार पर, देखो कितना इतराया।
गुनगुनी धूप खिली, प्रकृति का नूतन यौवन दर्शाया
ऋतुओं का राजा देखो बसंत ऋतु, द्वार हमारे आया।
पीत वसन धारण कर खेतों में, सरसों राई गेहूं लहराया
पक गई फसलें, झूमती फसल देख ग्रामीण हिय हर्षाया।
देखो अमिया की डाल पर लद गए बौर, महकी काया
कोयल भी गा रही कूक-कूक, लगे कितनी मधुर माया।
हुआ बसंत का आगमन, धरा पर नया नूर छाया
अली! अंबर भी देखो धरा रूप देख-देख मुस्काया।