बसंत आयो
बसंत आयो
बसंत की आई आहट
फूलों में है सुगबुगाहट
कली ने कली को पुकारा
बसंत ने देहरी पर खड़े हो निहारा
तितलियों का फूलों पर डेरा है
ये बसंत मेरा है ये बसंत मेरा है
मंद सुरभित पवन का डेरा है
बसंत से बेकल मिलन को सवेरा है
अद्भुत नयनाभिराम भंवर गुंजार है
आलोकित टिममाते तारों भरा संसार है।
