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Bharti Sharma

Abstract

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Bharti Sharma

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बस तू चलता चल

बस तू चलता चल

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नेह भरा निमंत्रण देते ,चमचम करते तारे ,

खुद को थोड़ा चमकाओ तुम सारे के सारे,

गहन अंधेरा छाने से दिखना सब बंद हो जाता है,

भाग्य न दे जब साथ तो साया भी कतराता है ,

मावस की हर रात के बाद पूरनमासी निश्चित है ,

सौ प्रयासों के पश्चात तेरी जीत सुनिश्चित है ,

घबराकर हार मानना कायरता कहलाता है ,

हार -जीत का तो बस चोली दामन का नाता है,

खुद ही खुद का हाथ पकड़कर बस तू चलता चल ,

डगर मिलेगी खुद ही तुझको ,बस तू चलता चल ।



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