बस तू चलता चल
बस तू चलता चल
नेह भरा निमंत्रण देते ,चमचम करते तारे ,
खुद को थोड़ा चमकाओ तुम सारे के सारे,
गहन अंधेरा छाने से दिखना सब बंद हो जाता है,
भाग्य न दे जब साथ तो साया भी कतराता है ,
मावस की हर रात के बाद पूरनमासी निश्चित है ,
सौ प्रयासों के पश्चात तेरी जीत सुनिश्चित है ,
घबराकर हार मानना कायरता कहलाता है ,
हार -जीत का तो बस चोली दामन का नाता है,
खुद ही खुद का हाथ पकड़कर बस तू चलता चल ,
डगर मिलेगी खुद ही तुझको ,बस तू चलता चल ।
