ब्रह्मचारिणी द्वितीय रूप
ब्रह्मचारिणी द्वितीय रूप
द्वितीय ब्रह्मचारिणी माँ
शिव को हम नवरात्रि में, पूजें माँ के साथ ।
ब्रह्मचारिणी और शिव, रखें कृपा का हाथ ।।
ब्रह्मचारिणी और शिव, जगत-पिता जगदंब ।
हम याचक हैं माँगते, चरणों का अवलंब ।
ब्रह्मचारिणी दूसरा, है मैया का रूप ।
शिव को पाने के लिए, साधा जाप अनूप ।।
इनके पूजन से सभी, होते कष्ट समाप्त ।
जो माँगे उनसे वही, हो जाता है प्राप्त ।।