बढ़ चला हैं वीर सैनिक
बढ़ चला हैं वीर सैनिक
बढ़ चला हैं वीर सैनिक
युद्ध में सीना तान कर
हिमालय इतराने लगा
देश प्रेम पर गुमान कर
पेड़ भी झुकने लगे
सलामी हैं देने लगे
सागर की विशाल लहरें
वीर रस सी उठने लगी
सुन कदम ताल वीरों के
धरा का कण कण हिल गया
विजय की नव कहानी का
अम्बर, जमीं से मिल गया
पकड़ तिरंगा हाथों में
वीरता का गुणगान कर
बढ़ चला हैं वीर सैनिक
युद्ध में सीना तान कर।।
