बिस्मिल
बिस्मिल
तीस साल का गबरु जवान
क्रांतिदीप हुआ देश पर कुर्बान
अंग्रेजी शासन की नींव हिला
गाया भारत का जय गान।
धन्य वीर माता मूल रानी
शेर बेटे की माँ जग जानी
धैर्य उसका तब भी ना टूटा
सुन बेटे की फाँसी की बाणी।
भरी बेटे की आंखें देख
सीना उसका भी भराया
सीने पर पत्थर रखकर
बेटे को उलाहना दिया ।
जिसे देख अंग्रेज थरथराए
वह कैसे डर सकता है
फांसी या मौत का फंदा
क्रांतिवीर हंस के सह लेता है।
बरबस बेटा भावुक हुआ
गले माँ के मिल बोला
डर नहीं मौत या फाँसी का
आँसू माँ से बिछुड़ने पर निकला।
धन्य धन्य है माँ का जिगरा
धन्य बिस्मिल सा पुतर महान
मातृभूमि की सेवा में जिसने
चूमा फाँसी का फँदा हे राम!!
सरफरोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है......