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Neelam Sheth Parikh

Tragedy Romance

3.5  

Neelam Sheth Parikh

Tragedy Romance

बिखरे पन्ने

बिखरे पन्ने

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मैं बिखरे पन्नों की तरह अपनी जिंदगी समेटती रही,

और तू हवा के झोकों सा आकर उसे उड़ाता रहा।


मैं ताश के पन्नों का आशियाना बुनती रही,

तेरे आने पे आशियाना सजाने का सपना चुनती रही,

और तू हवा के झोकों सा आकर उसे उड़ाता रहा।


मैं मिट्टी के खिलौने बना कर उसे देखती रही,

तू आयेगा यही सोच के उसी से पुराने खेल खेलती रही,

और तू पानी की लहर सा आकर उसे उड़ाता रहा।


मैं सपनों के मंज़र देखती रही,

तेरे आने तक नील गगन को ताकती रही,

और तू तूफान सा आकर मेरे सपनों को उड़ाता रहा।


मैं बिखरे पन्नों की तरह अपनी जिंदगी समेटती रही,

और तू हवा के झोकों सा आकर उसे उड़ाता रहा।


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