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Shraddha Gauhar

Abstract

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Shraddha Gauhar

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भूलती जा रही हूँ

भूलती जा रही हूँ

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तुमको बोला करती थी यह देखो मां सब भूल जाती हो,

सबका ख्याल रखते रखते खुद की तरफ देखना भूल जाती हो।

आज कुछ मेरा भी वही हाल हैं।

सुबह आँख खुलने से रात आँख लगने तक अपना छोड़ सबका ख्याल हैं।


कई बार काम में इतनी मशरूफ होती हूँ कि दिन भर बाल बनाना ही भूल जाती हूँ।

दूध उबलता गैस पर छोड़कर

कपड़े की मशीन लगाने आ जाती हूँ।

सास ससुर की दवाई करते-करते

अपनी कैल्शियम की गोली खाना भूल जाती हूं।

रोज बच्चों और पति का टिफिन बनाकर रखती हूँ।

पर खुद नाश्ता करना भूल जाती हूँ।

देखो तुमको ही टोकती थी मैं, और अब खुद तुम्हारी जैसी होती जा रही हूँ।

सच कहूं तो अपना ख्याल रखना भूलती जा रही हूँ।

जब अपनी बेटी को खुद को समझाते हुए देखती हूँ,

उसमें अपना और खुद में तुम्हारा अक्स पाती हूँ।

देखो मैं बिल्कुल तुम्हारी जैसी होती जा रही हूँ।


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