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Shraddha Gauhar

Others

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Shraddha Gauhar

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दोस्ती

दोस्ती

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आज पच्चीस सालों बाद एक स्कूल की दोस्त से बात हुई,

उसके शहर आई थी तो मिलने की चाह हुई 

शहर उसका था तो जगह भी उसने ही चुनी 

और मैंने उसकी कही सारी बात चुप चाप सुनी। 


हम कई साल साथ पढ़े थे,

 एक ही मेज पर कितने पन्ने लिखे थे 

जब सामने वो आई तो मैंने, उसे कस के गले लगाना था 

पर अफ़सोस उसने तो हाथ मिलाकर 

इस मुलाकात को फॉर्मल बनाना था। 


जगह बहुत आलीशान थीं

ऊँची दीवारों और फर्श की लम्बाई को 

मेरी छोटी आंखें एक बार में नाप न पाई थी 

ख़ैर बातों का सिलसिला शुरू किया हमने 

उसने खुद की तरक्की की कहानी बहुत लाजवाब सुनाई थी 

और मेरी ख़ामोशी उसे मेरी हार समझ आई थी।


आर्डर देने की जब बात थी, तब बहुत ही तहजीब में वो फ़रमाई 

एक बड़ा सा अंग्रेजी में कोई कॉफ़ी का नाम बताई 

और जब मेरी बरी आई, मैंने मुस्कुरा के एक चाय मंगवाई ।

कम्बखत उसने भी वेटर ने फ्लेवर पूछे , जिस पर मुझे गुस्सा तो बहुत आई 

अब चाय तो खुद में एक एहसास है, अदरक के  अलावा क्या वो कभी भी खास हो पाई? 


एक बड़े से प्याले में उसकी कॉफ़ी और एक छोटे से प्याले में मेरी चाय आई 

बहुत सी बातें हुई हमारे बीच और फिर वो मुद्दे पे आई 

"ये बता अच्छी खासी नौकरी छोड़ के ये तुम पोयट्री कि लाइन मे क्यों आई?"

मैं बस मुस्कुराई और अपना शौक बता कर बात घुमाई।


क्योंकि हर कोई नहीं समझ सकता इन शब्दों में छुपी गहराई,

शायरी लिखना और करना बहुत मुश्किलों से है आई। 

बॉस की नौकरी करना तो आसान है फिर भी 

पर इन शब्दों के जादू को समझना एक अलग ही 

एहसास है भाई


मेरी सूती कुर्ती और जूट का बस्ता देख कर 

वो बिल देने की जिद पे आई 

उसे लगा शायद लफ़्ज़ों की ही धनी हूँ मैं बस,

जेब में शायद कंगाली है छाई ।


उसकी तरक्की की बातें जरा कम हुई, 

तो अपना फ़ोन पर उसने हाल में  

अपने दुबई ट्रिप की ढेर सारी तस्वीर दिखाईं 

बोली तुम भी कुछ लेटेस्ट कलेक्शन दिखाओ 

सोशल मीडिया पे तो हो नहीं जरा अपनी 

भी लाइफ बताओ,


मैंने खोला जो अपनी गैलरी को तो

पहली तस्वीर कल रात के चाँद की पाई 

दूसरी बदलो से आई रौशनी से भर आई

फिर सर्दी की धूप लेती एक चिड़ियाँ नज़र आई

थोड़ा और नीचे गई तो बारिश की बूंदें गिरती पाई 


बोली ये क्या है... तुम तो किसी में हो ही नहीं ?

थोड़ा नाराज सी वो नज़र आई 

अब उसे कैसे समझाऊँ की हर तस्वीर 

मेरे एहसासों की ही तो है भाई 


बहार निकली तो तौबा किया मैंने 

गलती मेरी ही थीं शायद

दोस्त से मिलने आई थी तो स्टेटस घर छोड़ कर इमोशंस को क्यों साथ लाई? 

अब दुबारा क़त्ल -ले- आम के लिए 

मुझे किसी दोस्त से नहीं मिलना है 

बस इस मुलाकात से ये ही समझ पाई ।



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