वो कौन है?
वो कौन है?
मजबूत सी वो धारा, बह रही बेधड़क सी,
वो कौन है?
सारे दर्द अपनी चोटी में बांधी कस के
आखिर वो कौन है?
उसकी आँखो की गहराई जिनमें
हजारों समुन्द्र है,
वो खामोश सी कौन है?
जो कभी खुद के लिए जी ना सकी,
आधी सी मुसकाई वो कौन है?
हजारों बंदिशों में जकड़ी हो कर भी,
हवा सी बहती वो कौन है?
जिस घर में जन्मी, वहीं का हिस्सा नहीं,
जिस घर पहुंची वहां उनकी बनी नहीं
आखिर ये अधूरी सी कौन है?
जिसके दर्द का अंदाज़ा उसके
चेहरे से लगाना
नामुमकिन सी वो कौन है?
सबकी बीमारी की दावा करने वाली,
अपने ज़ख्मों को छुपाती हुई वो कौन है?
ना चाहते हुए भी कितने रिश्ते निभाती
वो अनोखी सी कौन है?
सब कुछ चुप चप ही सहती हुई
वो पर्वत सी मजबूत कौन है?
आखिर इतना कुछ अपने में समेटे हुए
सबसे अलग सी आखिर वो कौन है?
हर किरदार को भरपूर निभाती हुई
आखिर ये बेमिसाल सी कौन है?
शायाद ये कोई खास नहीं,
हर एक वो नारी है,
जिसको अब इज़्ज़त देने की
हम सबकी बरी है!
वो कोई एक या दो नहीं
पर हर एक एक नारी है,
वो हर एक नारी है।
