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अनिल कुमार यादव अनुराग

Tragedy

3  

अनिल कुमार यादव अनुराग

Tragedy

भूख

भूख

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रात - दिन हर पल मचाती, खूब हाहाकार।

भूख से रोते बिलखते, हैं कई परिवार।

साथ रहकर भी हमारे, छोड़ते संसार।

जान बच जाए हमेशा, गर करें सब प्यार।


नैन हैं आँसू बहाते, मन हुआ बेहाल।

रो रही है मां बेचारी, रो रहा है लाल।

भूख जब भी है सताती, क्या करें नादान।

हाल भी कोई न पूछे, ध्यान दो भगवान।


बेच जो बचपन कमाते, भूख करती घात।

एक रोटी गर जो पाते, मौत खाती मात।

मस्त होकर खूब जीते, ले मजे से नींद।

पेट जब भरता सभी का, तो मनाते ईद।


भूख के आगे झुके हैं, भूलकर अंजाम।

प्रेम तो मिलता नहीं है, जिस्म भी नीलाम।

धर्म से रोटी बड़ी है, बांट दे इंसान।

कर्म हम ऐसा करें जो,खुश करे भगवान।



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