मेरा हिंदुस्तान
मेरा हिंदुस्तान
हाथ जो पत्थर उठाते, बन चले अंजान
देश हित की सोच रखते, करते न अपमान।
विश्व में मिलकर सभी जो, गर बढ़ाते मान
भानु बनकर चमक उठता, मीत! हिंदुस्तान।
साथ होकर भी न होते, साथ अपने भ्रात
भूल जाते हैं सभी को, भूलते हर बात।
छोड़कर अपनी शिकायत,खुद करें आघात
नासमझ बनकर मुसीबत, ले चले अज्ञात।
सर्वदा ऊंचा तिरंगा, सर्वदा सम्मान
याद हम इसको रखे तो, ही बचेगी आन।
है दुआ रब से हमारी, मिट सके अज्ञान
हिन्द हो गुरु विश्व का भी, हो नई पहचान।
गीत वन्दे मातरम् से, झूम ले संसार
गान जन गण मन हमारा, बज उठे झंकार।
एक होकर हम बढ़ाएँ, इस वतन की शान
मुल्क अपना हो सलामत, नाम हिंदुस्तान।
