Shamim Shaikh
Abstract
बहुत दिनो बाद आज दिल धड़का है
कर लो चाँद फ़...
जन्म दिन मुबा...
परिश्रम ही पू...
बचपन का सफ़र!
मुकम्मल मौत
ईद आने वाली ह...
हॅपी बर्थ-डे ...
वन्दे मातरम!
बेवजह किसी पर ऐतबार जताते हैं ये क्यूँ किसी को अपना बनाते हैं ये। बेवजह किसी पर ऐतबार जताते हैं ये क्यूँ किसी को अपना बनाते हैं ये।
इस बार नहीं होंगे नाकाम, पूरी है तैयारी! इस बार नहीं होंगे नाकाम, पूरी है तैयारी!
शीत अपने चरम पर है पर आज बसंत याद आ रहा है । शीत अपने चरम पर है पर आज बसंत याद आ रहा है ।
आज किसी ने मुझसे ठहर कर पूछा, आप क्या यही बनना चाहते थे? आज किसी ने मुझसे ठहर कर पूछा, आप क्या यही बनना चाहते थे?
उफ्फ वो शाहरुख के साथ स्क्रीन रोमांस वो काजोल की नटखट सादगी! उफ्फ वो शाहरुख के साथ स्क्रीन रोमांस वो काजोल की नटखट सादगी!
नये साल को शुभकामना के साथ स्वीकारना होगा। नये साल को शुभकामना के साथ स्वीकारना होगा।
मैं फिर क्यूँ हूँ यहाँ मैं खुद का होना बंद कर दूँगा मैं फिर क्यूँ हूँ यहाँ मैं खुद का होना बंद कर दूँगा
कच्चे धागों से मैंने राखी की डोर बांधी थी, सोचा, मुँहबोले भाई कहां फिर मिलने आएंगे कच्चे धागों से मैंने राखी की डोर बांधी थी, सोचा, मुँहबोले भाई कहां फिर मिलने ...
हम" तो हैं कठपुतलियां अपना किरदार निभाते हैं हम" तो हैं कठपुतलियां अपना किरदार निभाते हैं
कान्हा मेरे और मैं कान्हा की, यह सोच अपने पर खूब इतराती। कान्हा मेरे और मैं कान्हा की, यह सोच अपने पर खूब इतराती।
वर्ष और घर-द्वार बदलते देखें हैं जां से प्यारे यार बदलते देखें हैं। वर्ष और घर-द्वार बदलते देखें हैं जां से प्यारे यार बदलते देखें हैं।
जो भी था , जैसा भी था आंखों का गुजारा पल सुहाना सा था। जो भी था , जैसा भी था आंखों का गुजारा पल सुहाना सा था।
तीन सौ पैसठ पन्नो वाली इक्कीस तेरा अभिनंदन। तीन सौ पैसठ पन्नो वाली इक्कीस तेरा अभिनंदन।
दिल और दर्द के बीच का फासला है इश्क़। दिल और दर्द के बीच का फासला है इश्क़।
जब भी तेरी याद का लम्हा छूता है वो लम्हा मेरा स्वर्णिम हो जाता है। जब भी तेरी याद का लम्हा छूता है वो लम्हा मेरा स्वर्णिम हो जाता है।
सेवा और सभ्याचार हो, करें मानवता का सत्कार फिर से। सेवा और सभ्याचार हो, करें मानवता का सत्कार फिर से।
कैसे कह दूं कि थक गयी हूँ, कितने राहगीरों के चलने का हौसला हूँ मैं। कैसे कह दूं कि थक गयी हूँ, कितने राहगीरों के चलने का हौसला हूँ मैं।
तो फूलों को यूँ काँटों के बीच ना रहना होता तो फूलों को यूँ काँटों के बीच ना रहना होता
मैं अब क्या कहूं उन हालातों में सबसे कि मैं आधा रोटी की ख़बर क्यों नहीं ले पाता ! मैं अब क्या कहूं उन हालातों में सबसे कि मैं आधा रोटी की ख़बर क्यों नहीं ले पात...
कभी अपने मन को भी कोसते है, पर जो हम कर सकते वो नहीं करते है, कभी अपने मन को भी कोसते है, पर जो हम कर सकते वो नहीं करते है,