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पूर्णिमा पाटील एकलव्य स्वरूप

Abstract

4.0  

पूर्णिमा पाटील एकलव्य स्वरूप

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अलविदा २०२०

अलविदा २०२०

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यह साल बवाल की तरह रहा है,

हर किसी के जहन में सवाल बन गया है,

दिल के किसी कोने में सहमे से जज़्बात है,

मैं या तुम हर किसी के लिए मनहूस सा रहा है।

कितनों को पाया

कितनों को खोया

सम्भलने का मौका भी ना दे पाया है,

जो गया वो होना लिखा था,

जिंदगी की किताब का एक और नया पन्ना

खाली होगा,

जो आएगा उसे खुद लिखना होगा,

और फिर जो भी होगा वह भी सम्भाल कर जीना होगा।

साल के आखिरी दिन को अलविदा कहना होगा,

नये साल को शुभकामना के साथ स्वीकारना होगा।



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