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एक दिन शायद तुम याद करोगे.....<br>मेरा साधारण सा चेहरा <br>उस चेहरे में तुमसे बात करके जो आती थ... एक दिन शायद तुम याद करोगे.....<br>मेरा साधारण सा चेहरा <br>उस चेहरे में तुम...
रक्षा का बंधन अब विरह का बंधन लगता है न शब्द है,न संकेत है बिना रूके बिना थके बस दूर का सफर त... रक्षा का बंधन अब विरह का बंधन लगता है न शब्द है,न संकेत है बिना रूके बिना ...
सोचा ना था इस हद तक तुम्हें अपने करीब पाऊंगी सोचा ना था इस हद तक तुम्हें अपने करीब पाऊंगी
उत्तर-नारी सदा से ही घर ,परिवार और समाज के दायरे में रही हैं । उत्तर-नारी सदा से ही घर ,परिवार और समाज के दायरे में रही हैं ।
फिर कभी दोबारा इस दुनिया में किसी भी रूप में दस्तक ना देने की हिदायत देता हूं। फिर कभी दोबारा इस दुनिया में किसी भी रूप में दस्तक ना देने की हिदायत देता हूं।