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Ajay Pandey

Abstract Inspirational

4.7  

Ajay Pandey

Abstract Inspirational

भोला भाला डमरुवाला

भोला भाला डमरुवाला

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110


सर्प गले में, जटा में गंगा

नीलकंठ मतवाला है,

कर में थामे त्रिशूल सदा

शिव सबका रखवाला है।।


हे अचलेश्वर, हे विश्लेश्वर

हे सकल जगत के स्वामी

हे पातालेश्वर, हे सर्वेश्वर

हैं नीलेश्वर, प्रभु मेरे अंतर्यामी।।


नाथ ये जग के त्रिलोकनाथ हैं

प्रेम, समर्पण, सत्य सनात हैं

रहते इनके कोई अनाथ हो कैसे

ये त्रिपुरारी हैं, विश्वनाथ हैं।।


पीड़ा सब हरते पीड़ाहारी

नटराज मेरे हैं, संकटहारी

अंधियारे में जो राह दिखाए

त्रिलोकदर्शी है मेरे चन्द्रधारी।।


भस्म रमा करें नंदी की सवारी

मेरे शंकर मेरे त्रिनेत्रधारी

संस्कृति, सभ्यता का आधार हैं ये

मेरे उमापति, मेरे डमरूधारी।।


शरणागत जो भी आया

सबका है उद्धार किया

सत्य की जिसने सीमा लांघी

उन सबका संहार किया।।


सरिता की निर्मलता तुमसे

जीवन की स्थिरता तुमसे

तुम ही जगत का मूल सत्य हो

सृष्टि की निर्भरता तुमसे।।


ध्यान धरो जहां कहीं भी

स्थान पवित्र है शिवाला है

दिल खोल जो चाहो मांगो

डमरुवाला बड़ा भोला भाला है।।


मैं जड़मति हूँ, मूढ़ अज्ञानी

दीनानाथ तुम हो महादानी

प्रभु मेरा उद्धार करो

हे घृष्णेश्वर हे शिवदानी।।



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