भक्ति भाव
भक्ति भाव
मेरे गुरुवर !इस अधम पर अब तो कृपा कर दीजे,
मन भटक रहा है तुमसे मिलने को, अब तो दरश दीजे।
मैं अज्ञानी, तड़प रहा हूँ तनिक दृष्टि डाल दीजे।।
इस जग में सबको आजमाया ,सुख ना कोई दीजे।
तुम ही मेरे प्राणों से प्यारे ,अपनी चरण रज दीजे।।
ढूँढता फिरूँ मैं इत -उत तुमको, राह न कछु सूझे।
छवि तुम्हारी जब भी निहारु, मन तुम पर ही रीझे।।
मन मलिन है ,प्राण व्यथित है ,अब तो पार कीजे।
तुम्हीं पिता हो इस "नीरज "के ,भक्ति भाव अब दीजे।।
