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AMIT SAGAR

Abstract

4.5  

AMIT SAGAR

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भइ खबर बहुत अच्छी है (भाग१)

भइ खबर बहुत अच्छी है (भाग१)

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180


      

यह न्यूज वाले अखबार वाले

बेमतलब के समाचार वाले

नौ को सौ गज़ में नापते हैं

अपना ही राग अलापते हैं

रस्सी का साँप बनाते हैं

धागे को कहते रस्सी है

भइ खबर बहुत अच्छी है!


एक अर्धनग्न से बालक के

अठन्नी गले में अटक गयी

एक लड़की माइक लेकर पहुँची

और उसकी माँ से पूँछती है

क्या दर्द तुम्हे भी होता है

जब बच्चा तुम्हारा रोता है

माँ बोली माइक वहाँ डालुंगी

जहाँ स्वर पूँ पूँ का आयेगा

मेरे अश्क तुझे नहीं दीखते हैं

क्य‍ा तू छोटी सी बच्ची है

भइ खबर बहुत अच्छी है!


एक जगह हुआ कुछ दंगा था

बच्चे आपस में भिड़ बैठे

बस इतना सी सच्चाई थी

यह उस रास्ते भी जा पहुँचे

ऐंसा माहौल रचा सब ने

जैंसे दुनिया का अन्त है अब

अपनी खबरो मे लिख बैठे

कुछ हाथ कटे कुछ सिर फूटे

कुछ आग लगी कुछ बैंक लुटे

हर तरफ मची तबाही थी

किसकी यह लापरवाही थी

प्राशासन को भी घसीट लिया

नैताऔ पे हमला बोल दिया

बच्चो के छोटे झगड़े को

परमाणु युद्ध का रुप दिया

लोग डरे हुए सहमे से हैं

खबरो को खुदा सा मानते हैं

पर झूठ में थोड़ा सच मिलाकर

उनको खबरे बेचनी है

सच की छोटी सी प्याली में

सौ झूठ की खीर परोसते है

और कहते हैं खीर कच्ची है

भइ खबर बहुत अच्छी है!

एक सैठ के घर में शादी थी

जहाँ लाख तरह के व्यंजन थे

उस शादी में यह जा पहुँचे

दुल्हे को भी दुल्हन को भी

हफ्तो तक रगड़ा खबरो में

हर व्यंजन पर उपदेश दिये

निर्देश दिये आदेश दिये

हफ्तो दावत के मजे लिये

हर किसी के हाथ में मच्छी है

भई खबर बहुत अच्छी है!



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