STORYMIRROR

Shashi Aswal

Abstract

4  

Shashi Aswal

Abstract

भगवान की श्रेष्ठ कृति

भगवान की श्रेष्ठ कृति

1 min
416

जब भगवान ने श्रेष्ठ कृति बनाने की सोची होगी 

तब जा के माँ रूपी संरचना बनाई होगी 


अपनी संरचना देखकर वो भी मंद-मंद मुस्काया होगा 

पल भर के लिए भगवान में भी घमंड आया होगा 


उसकी सादगी पर उर्वशी भी जली होगी 

उसके ममत्व पर पार्वती भी झुकी होगी 


उसकी चंचलता पर नारद भी नतमस्तक हुए होंगे

उसके नाटक में वो भी शामिल हुए होंगे


उसके क्रोध के आगे अग्नि देव भी शीतल पड़े होंगे 

सभी देवगणों ने सामने आ कर घुटने टेके होंगे 


माँ के बचपने पर बाल गणेश का भी मन आया होगा 

फिर से साथ उनके अपना बचपना जीना चाहा होगा 


माँ की महानता और पवित्रता को देखकर 

पूरा ब्रह्मांड भी हैरान होता है 

आखिर भगवान को भी अवतरित होने के लिए 

कोख का सहारा चाहिए होता है... 


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract