भगवान की श्रेष्ठ कृति
भगवान की श्रेष्ठ कृति
जब भगवान ने श्रेष्ठ कृति बनाने की सोची होगी
तब जा के माँ रूपी संरचना बनाई होगी
अपनी संरचना देखकर वो भी मंद-मंद मुस्काया होगा
पल भर के लिए भगवान में भी घमंड आया होगा
उसकी सादगी पर उर्वशी भी जली होगी
उसके ममत्व पर पार्वती भी झुकी होगी
उसकी चंचलता पर नारद भी नतमस्तक हुए होंगे
उसके नाटक में वो भी शामिल हुए होंगे
उसके क्रोध के आगे अग्नि देव भी शीतल पड़े होंगे
सभी देवगणों ने सामने आ कर घुटने टेके होंगे
माँ के बचपने पर बाल गणेश का भी मन आया होगा
फिर से साथ उनके अपना बचपना जीना चाहा होगा
माँ की महानता और पवित्रता को देखकर
पूरा ब्रह्मांड भी हैरान होता है
आखिर भगवान को भी अवतरित होने के लिए
कोख का सहारा चाहिए होता है...