बेटी बचाओ
बेटी बचाओ
वही कोख है वही शरीर
वही है जन्मदाता
वही धरा पर जन्म लिया
वही है उसका भी विधाता
फिर क्यों भेद करे समाज
आज कौन है नर नार
विधाता की नज़र में समान है
लेकिन औरत तो महान है
वो माँ बनकर तुम को पाले ,
राखी लेकर बहन बन जाये
बनकर प्रेमिका ख़्वाब दिखाए
पत्नी बनकर यम से लड़ जाए
हर जगह तुमसे आगे है
उसको तुम मारो मत
वो भी अंश तुम्हारा है किसी की
कोख उजाड़ो मत।
