बेटा ये तो रीत पुरानी है
बेटा ये तो रीत पुरानी है
कुछ कहे अनकहे रिश्तों की कहानी है
आज भी एक राजा है और एक रानी है
पर बातें वही पुरानी है।
मैंने पूछा क्यों सजा रही हो मेरी गुड़िया को नानी
तो कहने लगी बेटा ये तो रीत पुरानी है
आज तेरी गुड़िया की तो कल तेरी बारी आनी है।
एक शहजादे के साथ तुझे ताउम्र बितानी है।
बेटा ये तो रीत पुरानी,
तेरी माँ की भी बारी आई थी,
तेरी नानी की भी यही कहानी है।
नही अभी तो मेरे सपनों की सेज मुझे सजानी है
पड़ लिखकर ,अपनी पहचान नई बनानी है
मेरे नाम का रुतबा इस जहाँ में हो
कुछ ऐसी घड़ी घुमानी है।
तो हँसने लगी और कहने लगी,
अभी छोटी है तू, ये बातें तेरी नादानी है,
एक औरत की जिंदगी तो रसोई में कट जानी है।
जहाँ जाकर तुझे दूजों की भूख मिटानी है,
यही तेरी पढ़ाई है यही
तेरे मेडल्स की कद्र की जानी है।
वक़्त चाहें चक्के घुमा ले,
सोच तो लोगों की यही रुक जानी है,
आज तेरी गुड़िया की तो कल तेरी बारी है
बेटा ये तो रीत पुरानी है।
बेटा तो घर का राजा है,
पर बेटी की किस्मत तो आज भी
लिखी दूजे हाथ जानी है
बेटा ये तो रीत पुरानी है।
