बेरोजगारी
बेरोजगारी


कितने अरमानों से पाला
होगा बड़ा मेरा जब लाला
जग में मेरा नाम करेगा
जीवन हँसी-खुशी गुजरेगा
टूटी उम्मीदें मैं पढ़-लिखकर बेकार हूँ
मैं तो बेरोजगार हूँ ।
मैंने वर्षों की तैयारी
अब की आई मेरी बारी
रिटेन कर गया क्वालिफाई
इंटरव्यू में छंट गया भाई
मैं ना किसी बड़े नेता का रिश्तेदार हूँ
मैं तो बेरोजगार हूँ ।
दफ्तर-दफ्तर ठोकर खाया
लेकिन काम कहीं ना पाया
मेहनत-मजदूरी मैं करता
लेकिन लोक-लाज से डरता
आखिर पढ़ा-लिखा मध्यमवर्गी परिवार हूँ
मैं तो बेरोजगार हूँ ।
बीबी रोज ही मारे ताने
घर में बैठे रहो जनाने
तुमसे अच्छा अनपढ़ ग्वाला
बीबी को बनवाए माला
बन गया धरती पर मैं बोझ बड़ा लाचार हूँ
मैं तो बेरोजगार हूँ ।
बहना की मासूम निगाहें
देखूँ दिल से निकले आहें
मैं जब खुद ही नहीं कमाऊँ
शादी कैसे मैं कर पाऊँ
पैसे-पैसे का रहता मैं तलबगार हूँ
मैं तो बेरोजगार हूँ ।
आखिरकार इलेक्शन आया
नेता जी ने मुझे बुलाया
बोले लग जा मेरे भाई
ठीके से फिर करो कमाई
मैं तो करने को आया तेरा उद्धार हूँ
मैं तो बेरोजगार हूँ ।
नेता जीत, गए रजधानी
भूले सारी मेरी कहानी
अरमानों पर फिर गया पानी
आँखों में है अब वीरानी
फिर भी नहीं खुदकुशी करने को तैयार हूँ
मैं तो बेरोजगार हूँ ।