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Padma Verma

Inspirational

4  

Padma Verma

Inspirational

" बेफ़िक्री"

" बेफ़िक्री"

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    न जाने अपनी ज़िन्दगी में 

     कब आएगी ... ' बेफ़िक्री ',

     जब न कोई जागने का

     समय होगा, न कोई कार्य 

     करने की जल्दी।


     चलो, यह काम कल कर‌ लेंगे,

     अभी, चाय की चुस्की का 

     मज़ा लेती हूँ।

     बैठ, दोस्तों के साथ हॅंसी 

     ठिठोली कर लेती हूँ।


  ‌   पुराने पलों को फिर से 

     जी लेती हूँ, नये अंदाज में,

     हवा के झोंके के साथ, 

     फर्राटे से स्कूटी, दोस्तों के 

     संग चलाने की ख्वाहिश को,

 ‌‌    जी लेती हूँ, जागते सपनों में।


     कभी गैस पर रखी दूध, सब्ज़ी 

     की न परवाह कर, 

     अपनी बालों की लटों को 

     संवारती रहूँ .....

     चेहरे पर आए झुर्रियों को

     हटाने का अनथक प्रयास

     करती रहूँ ....


     डर- डर कर अब तक जो 

     जीया ज़िन्दगी को,

     परिवार, समाज की परवाह कर,

     अब अपने समय को, अपनी 

     कठपुतली बनाकर, कुछ नये

     पैमाने को आज़माऊॅं ....


     ज़िन्दगी को जिंदादिली से 

     जीने का फंडा, नयी पीढ़ी से

     सीख जाऊॅं।

    ‌ अपने हम उम्र ‌की मिसाल बन

     पाऊॅं ....

   ‌  पुराने ग़ज़लों की, नयी धुन पर,

  ‌   अपने हृदय की धड़कनों को 

     नचा पाऊॅं .....


    'बेफ़िक्री 'से जीने का अंदाज़ ही 

     आधुनिक जीवन के खुशहाली 

     का फ़लसफ़ा है।

     उस पे अमल कर जाऊॅं ....

     शेष ज़िन्दगी बेफ़िक्री से ...

 ‌    जी जाऊॅं, 

     शेष ज़िन्दगी ...

     ..........बेफ़िक्री ....

     ......... से ..... जी ....पाऊॅं ....



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