बेजुबां
बेजुबां
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आओ मरहम बन जाते हैं
उन जख्मों के
अत्याचारों से
वक्त बेवक्त के
शागिर्द विचारों से
जिनकी दवा केवल चिन्तन है ।
उनके अकिंचन प्यार से
उस दर्द की तपन को
कम कर जाते हैं
आओ बेजुबांन बन जाते हैं......