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Balkrishna Nirmala Devi Gurjar

Abstract

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Balkrishna Nirmala Devi Gurjar

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बदलती तस्वीर

बदलती तस्वीर

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आईने के सामने है तुम्हारी बदलती तस्वीर के वो ख्वाब सारे देखो खुद को आज की तस्वीर के रंग तुम्हारे,

बदलती है दुनिया बदलते है तख्त क्यू नही बदली तस्वीर तुम्हारी क्यू नही बदलते तुम्हारी किस्मत के तारे ।

ये धरा ये आसमान ये चाँद सितारे चीख चीख कर तुम्हारी पहचान पुकारे,

है न जाने क्यों मोहताज एक पल खुशी के लिए जैसे गुमनाम अंधेरे में खुद की ही पहचान खुद से पुकारे ।

हैं घर मे एक नही पांच या फिर दस हैं मर्द सारे जिन्हें जीने के लिए पड़ती है जरूरत सांसों की वो सांसें भी नही ले सकते बिन तुम्हारे,

न जाने फिर भी क्यू नारी ही करे अपनी जिंदगी से समझौते सारे अब ना ज्यादा सोचो ना रोको इंतजार में हैं बदलती तस्वीर के नजारे ।

तुम माँ हो बेटी हो बहु हो बहेन हो हमारी क्यों भूल जाते हैं हम सिर्फ अपनी पहचान बनाने में जो धूप बारिश भूख त्याग करके भी है हमारे सहारे,

एक कप चाय, एक ग्लास पानी, दूध ब्रेड, फ्रूट्स, दोपहर का खाना, शाम को चाय के साथ खारी, फिर रात का खाना क्या यहीं तक है संबंध हमारे ।

हम तो इतने पापी है कि खुद से खुद के जूते, चप्पल भी ना शू रेक में उतारे क्या कभी इस भागम भाग भरी जिंदगी में परिवार के लिए छोटे छोटे कामों के लिए दिन में आधा घंटे समय दिया क्यू नारी ही अपना सम्पूर्ण जीवन हम पर वारे ।

जब होंगे भारत मे हम एक हमारे एक के नारे बदलेगी सोच सिर्फ बेटे ही नही बेटी भी है जीने के सहारे ।।


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